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Wednesday, March 28, 2018

1 April, 1989; Passing away of S.M. Joshi

श्री एस.एम.जोशी का उद्घाटन भाषण

स्वागताध्यक्ष महोदय, भाइयो और बहनों,


श्री जयप्रकाश नारायण के बदले मे आपने मुझे इस ग्राम नव निर्माण सम्मेलन का उद्घाटन करने का आग्रह किया है। किन्तु, कहाँ श्री जयप्रकाश और कहाँ मैं। मैं कतई इसके लायक नहीं फिर भी आपकी कृपा के लिये धन्यवाद।

आज अपना देश आज़ाद है। मगर यह आज़ादी सिर्फ राजनीतिक आजादी है। इस आज़ादी से किसान मजदूरों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। बल्कि, हालत पहले से भी खराब हो गयी है। सोशलिस्ट पार्टी कांग्रेस सरकार से कहती रही है कि हिन्दुस्तान में जब तक समाजवाद प्रयोग नहीं होता, समाजवादी आधार पर नवनिर्माण नहीं होता, देश की और जनता की हालत नहीं सुधर सकती। सोशलिस्ट पार्टी ने सरकार के सामने अनेकों प्रोग्राम रखा, लेकिन सरकार उनकों अमल में लाने से इनकार करती रही। सरकारी अकर्मरायता के कारण जनता में निराशा फैली हुयी है। लोगों का विश्वास राजनीति और राजनीतिक पार्टियों से उठ गया है। लोग कहते हैं कि कांग्रेस ने धोखा दिया, आपका क्या भरोसा? बिहार के किसानों ने मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी के किसानों ने सोशलिस्ट पार्टी और हिन्द किसान पंचायत के नेतृत्व में इस सवाल का जबाब दिया है। बात से नहीं काम से। आपलोग कुदाल लेकर निर्माण का काम कर रहे हैं। इस कार्य द्वारा आप बतला रहे हैं कि हमें सिर्फ एसेम्बलियों, पार्लियामेन्ट और स्वायत्त संस्थाओं में अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजना है, बल्कि अपने हाथ से करने लायक काम हमें खुद करना है। आज आप अपने निर्माण कार्यों द्वारा निराश और विश्वास रहित जनता में  आशा और विश्वास का संचार कर रहे हैं, उन्हें आत्म निर्भरता का पाठ पढ़ा रहे है। आप अपने कार्यों द्वारा बतला रहे हैं  कि हमें सिर्फ सरकार के भरोसे या दूसरों के भरोसे नहीं बैठे रहना है, अपने बाहुबल से भी हमें बहुत कुछ कर दिखलाना है। हमने जिन्हें सरकार में, संसद, विधानसभा वार्ड या ग्राम पंचायतों में जिन कामों के लिये भेजा है उन कामों को वे करें और जो काम हमें करना है हम करें। यह ठीक है कि इन कार्यों द्वारा आप अपनी गरीबी नहीं मिटा सकते, आर्थिक स्थिति में सुधार या परिवर्तन नहीं ला सकते, लेकिन ग्राम सुधार या निर्माण का कुछ काम तो कर ही सकते हैं। रचनात्मक काम सिर्फ सुधारात्मक काम नहीं, क्रान्तिकारी काम है और कामों के साथ शिक्षा को भी रचनात्मक काम का एक अंग बनाना चाहिये। शिक्षा से मेरा मतलब है सिर्फ अक्षर ज्ञान कराना नहीं, अधिकार और कर्त्तव्य का ज्ञान कराना। सच्चा हिन्दुस्तान गावों में बसता है। अतः ग्राम वासियों को शिक्षित करना परमावश्यक है। आज शहर और गाँव में काफी फर्क पड़ गया है। गहरी खाई बन गयी है। सच पूछिये तो दोनों दो दुनियाँ बन गये हैं। गांवों में होने वाले सारे शोषणों का अन्त कर और  उन्हे समुन्नत और समृद्ध बनाकर ही हम शहर और गाँव की खाई को पाट सकते हैं।

मैं कह चुका हूँ कि रचनात्मक काम एक क्रान्तिकारी काम है। इसका उद्येश्य है जनता में बेदारी पैदा करना, अपने को बेदार पैदा करना, इस निकमति हुकूमत का बदलना और अन्ततः नया गाँव तथा नये समाज का निर्माण करना। हम बम्बई वाले आपसे-आपके कामों से प्रेरणा ले रहे हैं। हमने भी इस दिशा में कुछ काम शुरू किया है। इसे एक क्रान्तिकारी काम समझ आप फैलायें, बढ़ायें और नया गाँव नया देश बनाने में समर्थ हों।

Source:- Jayaprakash Narayan Papers, MSS, NMML