लोकसभा में विपक्ष के नेता एवं जनता संसदीय दल के नेता
श्री जगजीवनराम
द्वारा २६-७-७६ को प्रसारित
राष्ट्र के नाम सन्देश
संसद में विपक्ष के नेता के रूप में राष्ट्र को संबोधित कर रहा हूं। जनता के निर्णय से जनता पार्टी को यह पद नहीं मिला है किन्तु हाल में हुई कुछ ऐसी घटनाओं के कारण जो हमारी प्रजातान्त्रिक परम्पराओं तथा सामान्य नैतिक स्तर के अनुरूप कदापि नहीं है। सत्ता मे विपक्ष का कार्य मेरे लिए नया नहीं है। कठिन विषमताओं के होते हुए भी मैंने यह कार्य पहले किया है। वर्तमान समय में जबकि जनता के साथ विश्वासघात किया गया है, मैं अपने कर्तव्य को पूरे सामर्थ और उत्साह के साथ निभाऊंगा।
देश संकट काल से गुज़र रहा है किन्तु वर्तमान सरकार का रूख़ इस सम्बन्ध में नीरस और अस्पष्ट सामान्यीकरण का है। कथित महान उद्देश्यों की पूर्ति सरकार कैसे करेगी। उसका कोई भी संकेत नहीं मिला। शब्द जाल से नीरस को सरस नहीं बनाया जा सकता।
हमें बताया गया है कि सरकार बेरोज़गारी दूर करने को सर्वाधिक प्राथमिकता देगी, भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठायेगा तथा लधु उद्योग और कृषि को उन्नत करने के लिए सभी सम्भव उपाय करेगी। यह भी बताया गया है कि सरकार बढ़ती क़ीमतों को रोकने के लिए प्रत्येक सम्भव उपाय करेगी।
ये सभी सम्भव उपाय क्या होंगे, इनके बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया है। कुछ व्यक्तियों का समूह किसी भी तरह सत्ता में आने के लिए इतना व्यस्त रहा है कि अब जब उन्हें अपने ध्येय की प्राप्ति हो गयी है, सत्ता मिल गई है, तो उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे आगे क्या करें।
किन्तु जो वे नहीं करना चाहते हैं, उसकी रूपरेखा जो उन्होंने नहीं कहा है, उससे स्पष्ट हो जाती है। प्रधानमन्त्री के भाषण में उस चुनाव घोषणा-पत्र, जिस पर उन्होंने जनता का आदेश प्राप्त किया था, कोई चर्चा नहीं है। विपक्ष के नेता के रूप में मेरा सबसे पहला कार्य यह होगा कि जनता का वह हुक्म नज़र के सामने रहे और उसे तोड़ा न जाय।
ग्राम और नगर की असमानता पर जोर दिया है और नगरों के फैलाव को रोकने की धुंधली-सी आशा दिलाई है। किन्तु हमें उतनी ही चिन्ता, एक तरफ बड़े किसानों और दूसरी तरफ छोटे किसानों तथा कृषि श्रमिकों के बीच की खाई, की भी होनी चाहिए। नगरों में आलीशान मकानों की बस्तियों में रहने वाले और गन्दी बस्तियों में रहने वालों में विद्यमान असमानता के बारे में कुछ नहीं करना भी मुनासिब नहीं है। कृषि सुधार की समस्या को सरकार के आँकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। भूमि की अधिकतम सीमा निश्चित करने और कृषि उत्पाद की कीमतें निश्चित करने तथा खेतिहर मज़दूरों की मज़दूरी के सम्बन्ध में कोई चर्चा नहीं की गयी। विपक्ष के नेता के रूप में मेरा यह कर्तव्य है कि इन कार्यक्रमों से सरकार को न तो मुंह मोड़ने दिया जाय और न ही अवहेलना करने दी जाय।
भारत के अल्पसंख्यकों को हाल में हुई घटनाओं को सहना पड़ा है। हमें बताया गया है कि सरकार उन्हें भारतीय समाज में प्रभावी रूप से मिलाने के लिए प्रयास करेगी इसका क्या अर्थ है? हम किधर जा रहे हैं? क्या अल्पसंख्यक पहले से ही भारतीय समाज के अभिन्न अंग नहीं हैं? मुझे आशा है कि उस एकीकरण का अर्थ यह नहीं होगा कि अल्पसंख्यकों की अपनी विशेषतायें न रहने दी जायें। धर्म, संस्कृति और रहन-सहन के ढंग में विभिन्नता में ही भारत की महानता निहित है। मैं वादा करता हूं कि हमारी पार्टी एकीकरण के नाम पर उसी महानता को विशिष्ट करने के विरूद्ध पूरी ताकत से लड़ेगी....
पिछले तीस वर्षों की यहां तक कि पिछले दो वर्षों की उपलब्धियों की उपेक्षा नहीं की जा सकती। पिछले दो वर्षों में देश ने शानदार प्रगति की है। वास्तविक समस्या यह है कि इन विकास कार्यां का लाभ ग़रीब वर्ग तक उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाया। कई एक इलाकों की समस्याओं की अवहेलना की गई है। कानून और व्यवस्था की समस्या ने देश को जकड़ लिया है ....
जनता पार्टी धर्म निरपेक्ष प्रजातंत्र में विश्वास करती है। इसके विरूद्ध यह दोष लगाकर बिना किसी औचित्य के प्रचार किया जा रहा है कि इसका सम्बन्ध साम्प्रदायिक संगठनों से है। हिन्दू या मुसिलम राज्य के विचार का प्रचार पुराना पड़ चुका है और धर्म निरपेक्ष राज्य के साथ यह मेल नहीं खाता तथा धर्म पर आधारित राज्य की कल्पना जनता पार्टी के सिद्धान्तों के विरूद्ध है। सब हमने निर्णय कर लिया है जनता पार्टी का कोई भी सदस्य किसी धर्मतंत्रवादी संगठन का सदस्य नहीं बन सकता। इसे देखते हुए मेरा विश्वास है कि सभी धर्म निरपेक्ष शक्तियां जनता पार्टी के झँडे के नीचे एकत्रित हो जायेंगी।
राष्ट्र के सामने अनेक गम्भीर समस्याएं है और राजनीति में गम्भीर तनाव है और खींचातानी बनी हुई है। ऐसे समय पर हमें अपना भाग्य ऐसे व्यक्तियों के हाथों में नहीं छोड़ना चाहिए जो अपने अन्तर्विरोधों और अल्पमत में होने के कारण समय नष्ट करने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर सकेंगे।
जयहिन्द
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