§ 15 अगस्त 1947 §
15 अगस्त सन् 1947 भारत के इतिहास में एक स्मरणीय दिवस
है। आज बृटिश साम्राज्यवाद का प्राणान्तक भार देश के ऊपर से उठ गया है। स्वतंत्रता
संग्राम के बहादुर योद्धाओं ने पीढ़ी जो मुसीबतें उठायी है और कुर्बानियों की हैं
उनका फल आज प्राप्त हो रहा है। हम उन लोगों की यादगार में श्रद्धांजलि अर्पित करते
हैं जिनके खून और पसीने से सींची हुई फसल को आज हम काट रहे हैं। हम उन बहादुर और
निःस्वार्थ देशभक्तों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हैं जो सौभाग्य से आज भी
हमारे दरम्यान मौजूद हैं। हम न सिर्फ उन बड़े बड़े नेताओं का ही, जिनसे हमारा राष्ट्र अच्छी तरह परिचित
है, बल्कि उन असंख्य बहादुरों का भी सम्मान
करते हैं, जिन्होंनें अज्ञात रुप से और बिना किसी
प्रतिफल की आशा से कठिन परिश्रम किया है, मुसीबतें
उठायी हैं और कुर्बानियां की हैं।
यह क्रांति जिसके द्वारा स्वतंत्र भारत का जन्म
हुआ है संसार के इतिहास में अद्वितीय है। इतनी कम हिन्सा और खून खराबी के द्वारा
करोड़ो नर नारियों का भाग्य परिवर्तन करने वाली इतनी बड़ी घटना आज तक नहीं घटी है।
यह एक पाशविक शक्ति पर विजय नहीं, बल्कि
मानवता और आज़ादी की भावना की विजय है साम्राज्यवाद की अन्धी लोलुपता पर। महात्मा गांधी के प्रेरणात्मक नेतृत्व से ही यह सब
सम्भव हुआ है और अगर हम किसी व्यक्ति को अपने राष्ट्र का जनक कह सकते हैं, तो वह गांधीजी ही हैं। उन्होनें आज़ादी
की अहिन्सात्मक लड़ाई में हमारी रहनुमायी की है और हमें इस आज़ादी को देशवासियों की
सेवा के लिये सफल बनाने का मार्ग दिखाया है। उनके प्रति हम श्रद्धांजलि अर्पित
करते हैं।
हमने उस हिन्दुस्तान की आज़ादी हासिल करने के
लिये कोशिश की थी जो हमारे लिये अविभाज्य और एक था, लेकिन तो भी हमारे करोड़ो भाई बहन जो कल तक हमारे देशवासी थे आज वे एक
अलग राष्ट्र के नागरिक बन गये हैं। अति दुखद होते हुये भी हमने इस विभाजन को
स्वीकार किया क्योंकि स्वतंत्रता के अभाव में एकता फूट में परिवर्तित हो गयी थी और
हमारे राष्ट्रीय जीवन के लिये विदेशी शासन से मुक्ति पाना नितान्त आवश्यक हो गया
था। स्वतंत्रता प्राप्त कर ली गई है अब एकता भी वापस आ सकती है और वह एकता पहले से
कहीं सच्ची और मजबूत होगी।
हमें इसलिये निराश न हो जाना चाहिये कि इस
स्वतंत्रता में अखण्ड हिन्दुस्तान की शान कायम न रह सकी। गत महीनों की दुखद घटनाओं
ने जिनसे भाई भाई का शत्रु बन गया और जिन्होने इस राष्ट्र के सुन्दर चेहरे को
बदनुमा बना दिया, हमारे दिलों पर विवाद की गहरी छाया डाल
दी है, तो भी जिस तरह एक घायल सैनिक आज़ादी के
झण्डे को ऊंचा उठाये रखने में प्रसन्नता अनुभव करता है उसी तरह हम भी आज इस दिन के
आगमन पर खुशियां मना रहे हैं।
आज हमने जो प्राप्त किया है वह है अपने भाग्य
को बनाने या बिगाड़ने की आजा़दी। यह सबसे बड़ा विशेषाधिकार और बड़ी जिम्मेदारी है। इस
विशेषाधिकार और जिम्मेदारी में भारतीय संघ के सभी नागरिकों का हिस्सा होगा, चाहे वे किसी भी मजहब, सम्प्रदाय या दल के क्यों ना हों। आज
हर एक नागरिक इस बात की प्रतिज्ञा करे कि वह सामाजिक न्याय पर आधारित एक ऐसे
प्रजातांत्रिक समाज की स्थापना में अपनी तमाम शक्तियां लगा देगा जिसमें सारी शक्ति
जनता के हाथ में हो और जिसमें सभी नागरिकों को उन्नति करने का समान अवसर मिले।
आज हमारा दुश्मन हमारे बाहर नहीं, बल्कि हमारे अन्दर ही है। रोग, भुखमरी, गरीबी, अज्ञान और सबसे बढ़कर साम्प्रदायिक
भावनाओं से उत्तेजित हिंसा और उपद्रव की प्रवृति ये ही हमारे वास्तविक दुश्मन हैं।
इन्हीं दुश्मनों के मुकाबले के लिये हमें अपनी समस्त शक्तियों को संगठित करना है।
हर एक भारतीय का यह पवित्र कर्त्तव्य है कि वह उन दुश्मनों से लड़ने में सरकार की
सहायता करे। इस नयी लड़ाई में आत्मत्याग और आत्मानुशासन की भावना की उससे कहीं अधिक
मात्रा में प्रदर्शित करने की जरुरत होगी जितनी की हमनें आज़ादी की लड़ाई में भी की
थी।
कांग्रेस ने इस बात की स्पष्ट घोषणा कर दी है
कि स्वराज्य जनता के लिये उस समय तक सच्चा स्वराज्य नहीं हो सकता जब तक कि एक ऐसे
समाज की स्थापना नहीं हो जाती जिसमें लोकतंत्र का विस्तार राजनैतिक क्षेत्र से
सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में हो जाये और जिसमें विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को
अधिकांश जनता के शोषण का मौका ना मिले और न ऐसी घोर विषमता ही रह जाये जैसी कि इस
समय मौजूद है। ऐसे समाज में प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता, उन्नति करने का समान अवसर और अपने
व्यक्तित्व के विकास का पूर्णाधिकार मिलेगा। सिर्फ ऐसे ही समाज में जन साधारण, सम्प्रदायवादियों, पूंजीवादियों और निरंकुश नौकरशाही के
त्रिमुखी शोषण से मुक्त होना सकेगा। ऐसा समाज जो अपनी जनता की समृद्धि से शक्ति
प्राप्त करेगा और उनके स्वेच्छित सहयोग से एकता कायम रखेगा देश के उन अलग होने
वाले हिस्सों को प्रोत्साहित करेगा कि वे हिन्दुस्तान में फिर से शामिल हो जाये और
उसके महान् गौरव के भागी बनें। ऐसे ही समाज का निर्माण करने के लिए आज प्रत्येक
भारतीय प्रतिज्ञा करे।
वन्दे मातरम्।
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